बुलंदशहर। ।भारत पुष्प। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुशील कुमार शर्मा के नेतृत्व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को  अवगत कराते हुए समायोजन 1 से प्रभावित शिक्षक शिक्षिकाओं ने मांग की, कि विधिसम्मत और सक्षम प्राधिकारी द्वारा पारित आदेशानुसार हुआ है। प्रार्थीगण अपने-अपने नवीन विद्यालयों में नियमित रूप से कार्यरत हैं, जिससे विद्यालयों का शैक्षिक वातावरण स्थिर एवं संतुलित बना हुआ है। यदि इस वैध समायोजन को निरस्त किया जाता है, तो यह न केवल प्रशासनिक अस्थिरता उत्पन्न करेगा, बल्कि विद्यार्थियों की शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। समायोजन की वैधता एवं प्रशासनिक स्थिरता – समायोजन विधिसम्मत आदेश पर आधारित है और प्रार्थीगण नवीन विद्यालयों में नियमित कार्यरत हैं। इसने विद्यालयों में स्थायित्व एवं सुचारु शैक्षिक वातावरण सुनिश्चित किया है। शिक्षा की निरंतरता एवं RTE Act 2009 – समायोजन निरस्त होने पर विद्यार्थियों की शिक्षा बाधित होगी, जो शैक्षिक अधिकार अधिनियम के प्रत्यक्ष उल्लंघन के समान होगा। छात्र–शिक्षक अनुपात (PTR) – वर्तमान समायोजन के बाद विद्यालयों में PTR विभागीय मानकों के अनुसार संतुलित है; किसी भी प्रकार का निरस्तीकरण असंतुलन उत्पन्न करेगा। एकल विद्यालय की स्थिति – अनेक विद्यालय “एकल” बने हैं; तथापि अधिकांश में 1 AT + 1 शिक्षा मित्र कार्यरत हैं, इसलिए ये वास्तविक रूप से पूर्ण एकल विद्यालय नहीं हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP, 2020) – NEP 2020 (अनु. 5.7) के अनुसार प्रत्येक ग्रेड हेतु पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध कराना और उचित PTR बनाए रखना अनिवार्य है। पूर्व उदाहरण – पूर्व में भी समायोजन/स्थानांतरण के बाद कई विद्यालय “एकल” बने; विभाग ने बाद में नए समायोजन या भर्ती द्वारा संतुलन स्थापित किया।वैकल्पिक समाधान – जिन विद्यालयों में कमी है, उसका निराकरण आगामी समायोजन-3 या भर्ती के माध्यम से किया जा सकता है; केवल वर्तमान प्रार्थियों को हटाना व्यवहारिक व विधिसम्मत नहीं है। भविष्य की जटिलता – यदि प्राथियों को उनके पूर्व विद्यालयों में वापस भेजा गया, तो वहाँ 60 से कम विद्यार्थियों पर 2 शिक्षक नियुक्ति जैसी अनावश्यक व्यवस्थाएँ बन जाएँगी, जिससे भविष्य के समायोजन/स्थानांतरण कठिन हो जाएगा। 50 से कम विद्यार्थियों वाले नज़दीकी विद्यालयों में जोड़-तोड़ – जिन विद्यालयों में 50 से कम विद्यार्थी हैं और जो दूसरे विद्यालय से 1 किलोमीटर से कम दूरी पर स्थित हैं, वहाँ जोड़कर “पेयरिंग” की प्रक्रिया की जा रही है। ऐसा करने पर शिक्षक पुनः surplus (अतिरिक्त) हो जाएंगे, जिससे विभागीय संतुलन प्रभावित होगा। सुविधा एवं जनहित – नये विद्यालय से याचियों का निवास नजदीक है, जिससे नियमित उपस्थिति और कार्यकुशलता में वृद्धि हुई है; इसका प्रत्यक्ष लाभ विद्यार्थियों को प्राप्त हो रहा है। समायोजन का उद्देश्य – समायोजन का मूल उद्देश्य संसाधन संतुलन है — जहाँ शिक्षक अधिक हैं वहाँ से आवश्यकता वाले विद्यालयों में शिक्षक भेजे जाएँ; वर्तमान प्रक्रिया इसी नीति के अनुरूप हुई है। आगामी समायोजन (Samayojan-3) – शासन द्वारा समायोजन-3 की प्रक्रिया घोषित की जा चुकी है जो शीघ्र लागू होगी; इसी पृष्ठभूमि में वर्तमान समायोजन को निरस्त करना अनुचित एवं अव्यवहारिक है। अपरिवर्तनीय क्षति एवं संतुलन (Balance of Convenience) – समायोजन निरस्त करने पर नये विद्यालय के छात्रों की शिक्षा बाधित होगी, जो अपरिवर्तनीय हानि (Irreparable Loss) है; वहीं समायोजन यथावत रखने से किसी पक्ष को कोई प्रतिकूल हानि नहीं होगी। जिलाध्यक्ष सुशील कुमार शर्मा ने  की न्यायोचित, विधिसम्मत एवं विद्यार्थी-हितैषी निर्णय लेते हुए वर्तमान समायोजन को यथावत रखने हेतु संगठन के पदाधिकारियों व शिक्षक शिक्षिकाओं के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के समय नरेंद्र नगर, तेज प्रकाश शर्मा, अनिल कुमार शर्मा, सी.पी. सिंह, मनोज चौधरी, आचल शर्मा, अनीमेश कुमार, पूनम गुप्ता, सपना, साक्षी, राखी, नीलम, श्रीपाल सिंह, धीरेंद्र, दीपक, संजीव आदि उपस्थित रहे।

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