-संगोष्ठी में पत्रकार, शिक्षक, विधिवक्ता किये गये सम्मानित
-बच्चों ने प्रस्तुत किये सांस्कृतिक कार्यक्रम
अलीगढ ।भारत पुष्प। उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन उपजा के तत्वाधान में ’भारत रत्न महामना पं मदनमोहन मालवीय जी’का देश के विकास में योगदान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन राजकीय औद्योगिक एवं कृषि प्रदर्शनी के कृष्णांजलि मंच पर किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री ठा रघुराज सिंह, राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 चन्द्रशेखर, मंगलायतन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके दशोरा, टीकाराम गर्ल्स महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. शर्मिला शर्मा, श्री वाष्र्णेय कालेज के प्राचार्य प्रो. अरूण कुमार गुप्ता, शिक्षाविद डाo गिर्राज किशोर, डाo वी.पी.पाण्डेय, उपजा के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप शर्मा ने संयुक्त रूप से मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर व मालापर्ण कर किया। इस अवसर पर पत्रकारों व अतिथियों को शांल उड़ाकर व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। राज्यमंत्री ठा. रघुराज सिंह ने महामना मालवीय के व्यक्तिव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मालवीय जी ने सनातन धर्म की स्थापना और देशवासियों को संस्कारवान बनाने के लिए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। हिन्दीं भाषा को पल्लवित करने के लिए भारतीय संस्कृति को बढावा दिया। हमारी प्राचीन भाषा संस्कृत से दुनिया की 766 भाषाएं निकली है। राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. चन्द्रशेखर ने कहा कि महामना मालवीय बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। वे एक शिक्षक, पत्रकार और विधिवक्ता थे। उन्होंने अपनी झोली फैलाकर गरीब और धनाढय लोगों से धन एकत्रित कर एक ऐसे संस्कारित बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की जिसके विद्यार्थी शिक्षा अध्यन करने के बाद प्रत्येक क्षेत्र में मापदंड स्थापित कर रहे है। मंगलायतन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने मालवीय जी को आधुनिक युग के नारद की संज्ञा देते हुए कहा कि रोजगार परक शिक्षा की वकालत की। उनका व्यक्तित्व समुंद्र से भी गहरा है। क्योंकि उन्होंने आजादी के लिए संघर्ष किया है। दुनिया के बहुत बडे विश्वविद्यालय की स्थापना करायी। उनका सपना था कि हिन्दी विश्व की संपर्क भाषा बनेगी। उन्होंने पत्रकारिता करते हुए अपना कर्तव्य एवं धर्म बाखूबी निभाया।
श्री वाष्र्णेय कालेज के प्राचार्य प्रो. अरूण कुमार गुप्ता ने कहा कि मालवीय जी एक सच्चे देशभक्त व दलितों, गरीबों के मसीहा थे। वे अपने तन-मन-धन से भारत का चहुॅमुखी विकास एवं समृद्वि चाहते थे। उन्होंने पुनजागरण की स्थापना की और नासिक के काला राम मंदिर में दलितों को प्रवेश दिलाया। अध्यक्षता करते हुए टीकाराम काॅलेज की प्राचार्या प्रो.शर्मिला शर्मा ने युवाओं से आह्वान किया कि अगर वे पंडित जी के जीवन की किसी एक बात को भी अपने जीवन में अपना ले तो उनका जीवन धन्य हो जाएगा। वे हिन्दी के पक्षधर थे इसलिए युवा पीढी गुडमोर्निग, गुडनाईट छोडकर अभिवादन स्वरूप् प्रणाम जैसे शब्दों को अपनाए। अब समय आ गया है कि गुलामी की दासता को छोडों और राष्ट्रभक्ति को अपनाओं। मालवीय जी में विश्व बंधुत्व की भावना थी और वे सहज तथा सरल व्यक्तित्व के धनी थे। शिक्षाविद डा0 गिर्राज किशोर ने कहा कि मालवीय जी का नारा सत्यमेव जयते था वे स्वेत वस्त्र पहनते थे उन्होंने गाॅधीजी के असहयोग आंदोलन में अहम भूमिका निभाई शिक्षाविद डा0 वी पी पांडेय ने कहा कि मालवीय ऐसे महापुरूष थे जिन्होंने देश की एकता अखंडता के लिए काम किया वे चार बार काग्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहें।
इस अवसर पर उपजा के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप शर्मा ने कहा कि महामना मालवीय देश की ऐसी प्रतिभा थे जिनके आदर्शों पर देश की नही विश्व के अनेक देश हिन्दी को अपना रहे है। एसी विलक्षण प्रतिभा के धनी को बांरबार नमन करते हुए उन्होंने कहा कि देश हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। समारोह में प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप शर्मा व कोषाध्यक्ष तेजवीर सिंह चैहान ने सभी अतिथियों को शांल उडाकर व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति देने वाले बच्चों को भी प्रमाण पत्र प्रदान किये गये। उपजा के जिला महामंत्री पंकज धीरज ने कार्यक्रम का संचालन किया। संगोष्ठी में जियाउद्दीन नदीम, मनोज शर्मा, भवानी शंकर शर्मा, सुबोध सुह्रद, संजय शर्मा, विजय वर्मा, भुवेन्द्र सेंगर, कुलदीप सिकरोरिया,प्रशांत हितैषी, विशाल अग्रवाल, प्रदीप व्यास, सुशील तौमर, संदीप शर्मा, विशाल नारायण शर्मा, पुष्पेन्द्र, सुरेन्द्र शर्मा, डीके गौतम, जितेन्द्र,मयंक जैन,योगेश कौशिक,आरिफ खां, जमाल ख़ान, ओवेश इकबाल, हाजी नुरउद्दीन, तस्लीम, शिवा पाठक, सुधा शर्मा आदि मौजूद रहें।